इस धरती पर मनुष्य संवेदनशील , चिंतनशील और सृजनशील प्राणी है । संवेदना, भावना ,प्रेम ,ईर्ष्या, द्वेष, हर्ष ,रुदन, मनुष्य के भीतर सदैव विद्यमान रहते हैं ।साहित्य मनुष्य के चिंतन और चेतना का परिष्कार एवं परिमार्जन करता है तथा उसकी संवेदना, भावना एवं विवेक को जागृत तथा विकसित करता है इसी सृजन रचनात्मकता ,चिंतन, चेतना एवं अभिव्यक्ति का मंच 'साहित्य परिषद' महाविद्यालय के विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और निखारने का अवसर प्रदान करता है । पूरे सत्र में साहित्य परिषद द्वारा अनेक तरह की सृजनात्मक गतिविधियों और कार्यक्रमो का आयोजन करता हैं जिसमें नवोदित और स्थापित साहित्यकारों की रचनाशीलता पर विमर्श होता है।